भारत के संदर्भ में दर्शन का कार्य केवल बौद्धिक व्यायाम न होकर जीवन के उच्चतम
आदर्शों को प्राप्त करने का मार्ग बताना रहा है। उसकी उपादेयता का सबसे महत्वपूर्ण
पहलू यह है कि इसके स्नातक व स्नातकोत्तर विद्यार्थी मौलिक दृष्टि से सम्पन्न होकर
कुछ अलहदा दृष्टिगत होते हैं। दर्शन तथा दार्शनिक जिंतन मानव का अभिन्न अंग है।
वास्तव में सामान्य ज्ञान की दृष्टि से भी दार्शनिक आयामों, तर्क और नीति का ज्ञान
विद्यार्थी के व्यक्तित्व को निखारने के लिये एक अनिवार्यता होती है। यही भाषा का
सही व्यवहार बताने व विचारों को स्पष्ट करने में भी सहायक है। वर्तमान में
प्रतियोगी परीक्षायों तथा साक्षात्कार प्रक्रिया में दर्शन एक प्रभावशाली भूमिका
अदा कर रहा है। दर्शन का मुख्य कार्य विद्यार्थी में आलोचनात्मक एवं विश्लेषणात्मक
प्रतिभा को भी उभारना है। सर्वांगीण दृष्टि उत्पन्न कर प्रतियोगी परीक्षाओं में
सफलता दिलाकर रोजगार से जाड़ने में यह विषय सहायक है। किसी भी विषय में गहरे उतरने
पर उसका एक दर्शन ही सामने आता है, जैसे अर्थ का दर्शन, समाज का दर्शन राज्य का
दर्शन आदि।
रोजगार की दृष्टि
से दर्शनशास्त्र यू.पी.एस.सी. परीक्षा में मुख्य विषय के रूप में मेरिट में
सर्वोच्च होने वाले विद्यार्थियों का विषय रहा है। इस विषय के अन्तर्गत
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग एवं भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद् के द्वारा जूनियर
रिसर्च फैलोशिप का प्रावधान है। पी.एस.सी. परीक्षा में भी यह विशिष्ट एवं कम समय
में अध्ययन करलेने वाले विषय के रूप मे विद्यार्थियों का प्रिय विषय रहा है। विषय
का अध्ययन, अध्येता में तार्किक दृष्टि एवं वक्तृता कला में नैपुण्यता प्रदान कर
प्रबन्धन एवं मार्केटिंग के क्षेत्र में सफलता का रास्ता प्रशस्त करता है। इसी गुण
की अभिव्यक्ति का स्वरूप विद्यार्थी को लेखक, पत्रकार बनाने में भी महत्वपूर्ण
भूमिका अदा करता है। इस विषय के अध्ययन से विद्यार्थी का बाह्य एवं आन्तरिक विकास
होता है।
वर्तमान में भारत
का यदि विश्व में किन्हीं क्षेत्रों में वर्चस्व कायम है तो वह साफ्टवेयर
इंजीनियरिंग एवं आध्यात्मिकता-योग है। आध्यात्मिकता को दार्शनिक मनीषा से पृथक करके
नहीं देखा जा सकता। समकालीन युग में योग को चरम वैभव प्राप्त हो रहा है। योग दर्शन
से पृथक् नहीं है और वास्तव में यह प्राचीन भारतीय दर्शन का प्रायोगिक पक्ष ही है।
इस प्रकार कह सकते हैं कि दर्शन एक ऐसा सागर है जो मानव व्यक्तित्व को विशालता एवं
गहराई दे कर उसे परिपूर्ण बनाने में सक्षमता रखता है।
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