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हिन्दी अर्थ

 
1.

गुरु ही ब्रह्म हैं, गुरु ही विष्णु हैं, गुरु ही महे है और गुरु ही साक्षात् परब्रह्म है। मैं उन गुरु को नमन करता हूँ।

 
2.

जिनकी कृपा से गूंगा बोलने लगता है, लँगड़ा पर्वत को पार कर लेता है, उन परमानन्द प्रदायक परमेश्वर (माधव; का मैं वन्दन करता हूँ।

 

 
3.

मैं उस गुरु की वन्दना करता हूँ जो चर और अचर जगत में अखण्ड मण्डलाकार के समान व्याप्त हैं और जो ब्रह्म के 'तत' पद का बोध कराता है।

 

 
4.  मैं उस गुरु को प्रणाम करता हूँ, जो अज्ञानान्धकार से बन्द अन्धी बनी हुयी मेरी ऑंखों को ज्ञान रुपी अंजन की शलाका से खेलता है।