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CONTENTS
मन एवं शरीर का सम्बन्ध Relationship of body and mind||शरीर एवं मन के सम्बन्धी सिद्धान्त (Theories)||Strategy for Understanding|

Yoga Psychology - 3

मन एवं शरीर का सम्बन्ध :
Relationship of body and mind
 

अन्य लिंक :|Mental Health | मानसिक स्वास्थ्य में योग की भूमिका| मन एवं शरीर का सम्बन्ध| Personality|स्व सन्तुष्टि|शान्ति|

मन एवं शरीर का सम्बन्ध

मन एवं शरीर का सम्बन्ध :

Relationship of body and mind  

शरीर एवं मन के सम्बन्ध में प्राचीन समय में से ही दार्शनिकों ने अपने विचार प्रस्तुत किये हैं। शरीर दृष्ट वस्तु है अतः इसकी स त्ता या अस्तित्व पर सन्देह नहीं किया जा सकता। अर्थात् जिससे क्रिया की जाती है। जो क्रिया करता है। वह शरीर है। ये क्रिया चलने, उठने, बैठने से लेकर खाने-पीने पर्यन्त तक की हो सकती है। किन्तु इन क्रियाओं को करने से पहले कुछ इच्छा होती है। उस पर विचार होता है। किसी कर्म को करने के अत्यन्त तीव्र संवेग हो सकते हैं भावनायें का भी विस्तार हो सकता है, ये सभी पक्ष सामूहिक रूप से मन से सम्बद्ध माने जाते हैं। इस प्रकार कह सकते हैं कि मन किसी भी कर्म की पृष्ठभूमि में रह सकता है। यहीं पर विचारकों ने शरीर एवं मन दो को ग्रहण किया है। उनके विश्लेषण का विषय यह हो जाता है कि दोनों में वस्तुतः क्या सम्बन्ध है ? तथा दोनों में किस प्रकार की क्रिया होता है ? क्या दोनों एक ही प्रकार के तत्त्व से निर्मित हैं या दोनों के मूल तत्त्व अलग-अलग हैं ? इन्हीं प्रश्नों की पृष्ठभूमि में अरस्तु के समय से शरीर एवं मन तथा इनके सम्बन्ध में सिद्धान्त तथा वाद प्रस्तुत किया जाते रहे हैं।

 

शरीर एवं मन के सम्बन्धी सिद्धान्त

 
 

समीक्षात्मक रूप से हम शरीर एवं मन के सम्बन्धी सिद्धान्तों को निम्न शीर्षकों में विभाजित कर सकते हैं

 

*      एकतत्त्ववाद

*      दो-तत्त्ववाद

 

§         क्रिया-प्रतिक्रियावाद

§         सामान्तरवाद

§         एपिफिनामिनॉलिस्म

 

एक-तत्त्ववाद के अनुसार शरीर एवं मन दोनों वस्तुतः मूल रूप से एक तत्त्व आध्यात्मिक तत्त्व की अभिव्यक्ति हैं।

दो तत्त्ववाद के अनुसार शरीर एवं मन पृथक रूप से दो अलग-अलग तत्त्व हैं।

यद्यपि दो तत्त्व तथापि मूल रूप से ये दोनों आध्यात्मिक तत्त्व हैं। रेने देकार्त (16वीं शताब्दी) इस विचार के समर्थक माने जाते रहे हैं।

Any theory that mind and body are distinct kinds of substances or natures. This position implies that mind and body not only differ in meaning but refer to different kinds of entities 

According to René Descartes, both the mind and the soul are spiritual entities existing separately from the mechanical operations of the human body

 

क्रिया-प्रतिक्रियावाद (Internationalism) : इनमें सम्बन्ध है कि मन शरीर पर तथा शरीर मन पर क्रिया करता है।

सामान्तरवाद (Parallelism)  : के अनुसार दोनों में समानान्तर सम्बन्ध है, अर्थात् शारीरिक क्रिया मानसिक क्रिया अथवा मानसिक क्रिया तथा शारीरिक क्रिया दोनो समानान्तर होती है।

Leibniz believed that mind and body are separate but that their activities directly parallel each other

एपिफिनामिनॉलिस्म (Epiphenomenalism) : एपिफिनामिलालिस्म के अनुसार वास्तिविक क्रियायें तो शारीरिक ही हैं मन केवल इसके एक उपभाग के रूप में आता है।

Only true causes are physical events, with mind as a by-product. Mental events seem causally efficacious because certain mental events occur just before certain physical events and because humans are ignorant of the events in the brain that truly cause them

 

Strategy for Understanding

Strategy for Understanding

 

 

*    Concept of Mind & Body & Their Relationship

 

 

*      What is Body and what constitute Mind  –

 

 

 

 

·        Body : Organs & Functioning

·        Mind : Thoughts, Emotions, Feelings, Attitudes,     

                   Dispositions, Imagination, etc.

 

*      Analysis & Discussion : How mind is different from body

 

 

*      Various Theories : Relation of Body and Mind :

 

 

 

·        Monistic Theory

·        Dualistic Theory

 

o       Inter-actionism

o       Parallelism

o       Epiphenomenalism

 

·        Physiological Psychology

 

o       psychological processes and the underlying physiological events

o       Actions and nervous system

 

     
 
 

Authored & Developed By               Dr. Sushim Dubey

&दार्शनिक-साहित्यिक अनुसंधान                      ?  डॉ.सुशिम दुबे,                             G    Yoga

Dr. Sushim Dubey

® This study material is based on the courses  taught by Dr. Sushim Dubey to the Students of M.A. (Yoga) Rani Durgavati University, Jabalpur  and the Students of Diploma in Yoga Studies/Therapy of  Morarji Desai National Institute of Yoga, New Delhi, during 2005-2008 © All rights reserved.