समीक्षात्मक रूप से हम शरीर एवं मन के
सम्बन्धी सिद्धान्तों को निम्न शीर्षकों में विभाजित कर सकते हैं –
एकतत्त्ववाद
दो-तत्त्ववाद
§
क्रिया-प्रतिक्रियावाद
§
सामान्तरवाद
§
एपिफिनामिनॉलिस्म
एक-तत्त्ववाद के अनुसार
शरीर एवं मन दोनों वस्तुतः मूल रूप से एक तत्त्व आध्यात्मिक तत्त्व की अभिव्यक्ति
हैं।
दो
तत्त्ववाद के अनुसार शरीर
एवं मन पृथक रूप से दो अलग-अलग तत्त्व हैं।
यद्यपि दो
तत्त्व तथापि मूल रूप से ये दोनों आध्यात्मिक तत्त्व हैं। रेने देकार्त (16वीं
शताब्दी) इस विचार के समर्थक माने जाते रहे हैं।
Any theory that mind and body
are distinct kinds of substances or natures. This position implies that mind and
body not only differ in meaning but refer to different kinds of entities
According to
René Descartes, both the mind and the
soul are spiritual entities existing separately from the mechanical operations
of the human body
क्रिया-प्रतिक्रियावाद
(Internationalism)
: इनमें सम्बन्ध है कि मन शरीर पर तथा
शरीर मन पर क्रिया करता है।
सामान्तरवाद
(Parallelism)
: के अनुसार दोनों में समानान्तर
सम्बन्ध है, अर्थात् शारीरिक क्रिया मानसिक क्रिया अथवा मानसिक क्रिया तथा शारीरिक
क्रिया दोनो समानान्तर होती है।
Leibniz believed that mind and body are separate
but that their activities directly parallel each other
एपिफिनामिनॉलिस्म
(Epiphenomenalism)
: एपिफिनामिलालिस्म के अनुसार
वास्तिविक क्रियायें तो शारीरिक ही हैं मन केवल इसके एक उपभाग के रूप में आता है।
Only true causes are physical events, with mind as
a by-product. Mental events seem causally efficacious because certain mental
events occur just before certain physical events and because humans are ignorant
of the events in the brain that truly cause them
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