विभिन्न परम्पराओं
में
- सन्तोष
“Self-Content” in Indian
tradition
भारतीय परम्परा में विभिन्न ग्रन्थों
में सन्तोष को सबसे बड़ा सुख बताया गया है –
लोकोक्ति है –
सन्तोषी सदा सुखी रहता है।
सन्तोषी परमास्थाय सुखार्थी संयतो
भवेत्।
सन्तोषमूलं हि सुखं
दुःखमूलो विपर्ययः ।।
बौद्ध दर्शन के अनुसार सन्तोष
Contentment in Buddhism
बौद्ध दर्शन के संस्थापक महात्मा
बुद्ध ने दुःखों का मूलकारण तृष्णा को बतलाया है। तृष्णा के क्षय या शमन से ही
निर्वाण की अवस्था सम्भव बतलायी है। यदि सन्तोष की स्थिति बौद्ध दर्शन के विश्लेषण
में देखेंगे तो यह एक प्रकार से तृष्णा से निर्वाण के मध्य सेतु का काम करती है।
आध्यात्मिक दृष्टि से बात करें तो जब तृष्णा नियन्त्रित होती है। तब सन्तोष का उदय
होता है। तब ही निर्वाण संभव होता है।
योगसूत्र
–
सन्तोष -
Yogasutra : Self-content
योगसूत्र में सन्तोष को नियमों के
अन्तर्गत व्याख्यायित किया गया है। नियमों से तात्पर्य है कि नियमन करने वाले,
नियन्त्रण करने वाले (Regulating factor)।
ऐसे नियमन करने वाले पाँच कारक महर्षि पतञ्जलि के अनुसार पाँच हैं, जिनमें सन्तोष
दूसरे क्रम पर वर्णित है –
शौच, सन्तोष, तप, स्वाध्याय एवं ईश्वरप्रणिधान
शौचसंतोषतपःस्वाध्यायेश्वरप्रणिधानानि नियमाः।
- योगसूत्र, साधनापाद,
32
योगसिद्धि के लिये पथ के कारक प्रथम
शुद्धता शुचिता एवं पवित्रता हैं। तत्पश्चात् साधक के लिये सन्तोष व्याख्यायित किया
गया है। सन्तोष के फल के सम्बन्ध में कहा गया है
“सन्तोषाद्
अनुत्तम सुखलाभः।”
- योगसूत्र, साधनापाद, 42
अर्थात् सन्तोष से अतुलनीय सुख लाभ
होता है।
भगवद्गीता में सन्तोष
Bhagavadgīta – Self-Content
भारतीय मनोविज्ञान का प्रतिनिधिक
ग्रन्थ भगवद्गीता मनोस्थितियों तथा आध्यात्मिकता का सुन्दर विश्लेषण तथा संश्लेषण
प्रस्तुत करता है। गीता कामनाओं को आवर्तनीय स्वरूप का बतलाया गया है। काम तथा
क्रोध को मानव का सबसे बड़ा शत्रु निरूपित किया गया है। गीता आध्यात्मिक सुख को
महत्व देती है। आध्यात्मिक सुख से तात्पर्य है ऐसी स्थिति से जो कि स्वयं में
परिपूर्ण है। यद्यपि गीता में “सन्तोष”
यह शब्द नहीं प्रयोग हुया है, तथापि गीता में आत्मस्वरूप एवं स्थितप्रज्ञ के आदर्श
को महत्व दिया गया है। यह समस्त कामनाओं की तुष्टि की स्थिति तथा नैष्ठिक परम
शान्ति की स्थिति के रूप में वर्णित की गयी है। इसके मध्यवर्ती के रूप में सन्तोष
आवश्यक घटक के रूप में वर्णित किया गया है। |