सामान्य
व्यक्ति
के
लिये
योग
आसन
एवं
प्राणायाम
का
समूह
है।
इसलिये
उसके
लिये
इसका
मूल्य
किन्हीं
विशिष्ट
एवं
कठिन
तौर
पर
शरीर
के
अंगों
को
हैरतअँगेज
तरीके
से
मोड़
लेना
तथा
इसका
उद्देश्य
या
तो
करतब
दिखाना,
या
स्वास्थ्य
लाभ
करना
होता
है।
इसप्रकार
यहाँ
यौगिक
अभ्यास
वास्तव
में
जिमनाँस्ट
के
समान
समझे
जाते
हैं।
कुछ
आध्यात्मिक
समझ
रखने
वाले
के
लिये
लोगों
के
लिये
योग
गूढ़
अभ्यासों
एवं
रहस्यमयी
क्रियाओं
का
समूह
है,
जिसके
प्रभाव
से
योगी
आध्यात्मिक
उपलब्धि
को
प्राप्त
करता
है।
इस
प्रकार
यौगिक
अभ्यास
यहाँ
पर
रहस्यमयता
के
दायरे
में
तथा
उनका
मूल्य
अति
गूढ़,
गोपनीय
एवं
विशिष्टतम्
माना
गया
है।
वैज्ञानिक
आधारों
पर
योग
की
बात
करें
तो
योग
में
वर्णित
कुण्डलिनी
शक्ति
आदि
के
मेडिकल
साइंस
के
अनुसार
कोई
फिज़ियोलॉजिकल
आधार
मानव
शरीर
के
शल्यानुसंधान
में
प्राप्त
नहीं
होते।
यौगिक
क्रियायें
काफी
हद
तक
वैयक्तिक
होती
हैं।
आब्जक्टिविटी
या
वस्तुनिष्ठता
नहीं
होने
के
कारण
इनका
वैज्ञानिक
पद्धति
से
प्रमाण
की
गुंजाइश
कम
रहती
है।
पुनः
ऑब्जक्टिविटी
कम
होने
से
निष्कर्षों
में
भी
वेरिएशन
की
संभावना
अधिक
रहती
है,
अतः
वैज्ञानिकों
का
इसमें
इन्टरेस्ट
कम
हो
जाता
है।
समाज
की
दृष्टि
से
योग
तथा
यौगिक
क्रियाओं
को
देखें
तो
समाज
वस्तुतः
उसी
मूल्य
को
महत्व
देता
है,
जो
वैयक्तिक
कम
तथा
सामाजिक
अधिक
हों।
यदि
योगसिद्धि
से
व्यक्ति
उदासीन
होता
है
तो
समाज
की
भी
ऐसे
व्यक्ति
में
उदासीनता
ही
होगी।
राष्ट्रीय
एवं
अन्तर्राष्ट्रीय
स्तर
भी
कमोबेश
सामाजिक
स्तर
के
अनुरूप
ही
मूल्य
पोषित
देखे
जाते
हैं।
उपरोक्त
मानदण्डों
एवं
तर्कों
से
विगत्
दो
दशक
से
योग
का
समालोचना
एवं
उहापोह
का
शिकार
रहा
और
इस
अद्यावधि
में
भारत
में
इसका
सम्यक्
मूल्यांकन
नहीं
हो
पाया।
किन्तु
विदेशों
में
इस
अवधि
में
इसका
प्रबल
प्रचार-प्रसार
हु्आ।
60 एव
70 के
दशकों
से
अमेरिका
में
योग
ने
लोकप्रियता
के
नये
आयामों
को
स्पर्ष
किया।
वहाँ
योग
ने
स्वास्थ्य
लाभ
के
निरोधात्मक
(Preventive)
एवं
प्रदायात्मक
(Promotive)
अद्वितीय
कारक
के
रूप
में
प्रतिष्ठा
एवं
प्रसिद्धि
अर्जित
की।
धीरे-धीरे
आधुनिक
मेडिकल
चिकित्सा
के
दुष्परिणामों
से
त्रस्त
तथा
विभिन्न
एक्सरसाइज़
(वेट-लिफ्टिंग,
एरोबिक्स,
फास्ट
स्पोर्ट्स
आदि)
से
उबे
तथा
निराश
लोगों
ने
भी
जब
योग
की
शरण
ली
तो
उन्होंन
पाया
कि
योग
के
अभ्यास,
आरामदायक,
स्फूर्तिदायक
तथा
हृदयतन्त्र
पर
अधिक
कार्यभार
न
डालने
वाले
स्वरूप
के
हैं।
क्योंकि
वेट-लिफ्टिंग
के
लम्बेसमय
के
अभ्यास
से
आगे
जाकर
जोड़ों
के
दर्द
की
समस्या
देखी
गयी।
वहीं
ऐरोबिक्स
भी
स्थूल
लोग
के
लिये
उतना
आरामदायक
नहीं
महसूस
किया
गया,
एसोबिक्स
हार्टपेशेंट,
उच्च
रक्तचाप
के
मरीज
के
लिये
भी
अप्रशस्तकर
तथा
कमजोरों
के
लिये
दुष्कर
अनुभवित
किया
गया।
फास्ट
स्पोर्ट्स
के
अपने
रिस्क
पाये
गये,
तथा
यह
खर्चीला
भी
रहा।
यही
कारण
रहा
कि
उपरोक्त
एक्सरसाइज़ों
के
एवज़
में
यौगिक
अभ्यासों
का
संक्षिप्तिकरण
तथा
स्वास्थ्यवर्ज़न
(health-version)
के
प्रति
लोगों
का
रूझान
बढ़ता
चला
गया।
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