पतञ्जलि-योग
–
(Analysis
of Yoga as a Value & Yoga as Practice)
पतञ्जलि
योग
सूत्र
में
योग
की
परिभाषा
“योगश्चित्तवृत्ति
निरोधः”
के
रूप
में
की
गयी
है
अर्थात्
योग
(या
योग
की
प्राप्ति)
चित्तकी
वृत्तियों
के
निरोध
से
है
(होती
है)
तथा
इस
निरोधावस्था
की
प्राप्ति
अभ्यास
तथा
वैराग्य
से
सम्भव
बतलायी
गयी
है।
महर्षि
पतञ्जलि
के
अनुसार
इन
चित्त
वृत्तियों
के
निरोध
से
उत्पन्न
होने
वाला
मूल्य
कैवल्य
की
अवस्था
है
जो
कि
पुरुष
का
वास्तविक
स्वरूप
भी
है।
चित्त
वास्तव
में
स्फटिक
मणि
के
सदृश्य
स्वच्छधवलनिर्मल
स्वरूप
है
परन्तु
वृत्तियों
के
परिणाम
स्वरूप
यह
उस
दर्पण
की
भाँति
होता
है
जो
कि
अपने
आस-पास
की
समस्त
वस्तुओं
को
प्रतिबिम्बित
करता
है,
और
इस
रूप
में
वह
दर्पण
वास्तव
में
वस्तुमय
या
वस्तु
के
प्रकार
का
ही
दिखायी
देता
है।
किन्तु
जब
आस-पास
की
समस्त
वस्तुओं
न
रहें
तब
वह
दर्पण
अपने
निज
स्वरूप
की
अभिव्यक्ति
करेगा
न
कि
प्रतिबिम्ब
की
।
इसी
प्रकार
वृत्ति
निरोध
से
शुद्धावास्था
या
शुद्धचैतन्यावस्था
वर्णित
की
गयी
है।
यही
योग
की
परिभाषा
–
“योग
चित्तवृत्ति
का
निरोध
है
”
की
सार्थकता
है।
चूँकि
यहाँ
केवल
चित्त
मात्र
ही
है
अतः
इसे
कैवल्य
प्राप्ति
या
कैवल्य
की
अवस्था
भी
कहा
गया
है।
इस
प्रकार
कैवल्यावस्था,
आत्म
स्वरूप
की
अवस्था
शुद्ध
स्वरूप
की
अवस्था
है।
चूँकि
योग
में
इसी
आत्म
रूप
को
प्राप्त
करना
है
अतः
स्पष्ट
है
कि
पतञ्जलि-योगसूत्र
के
अनुसार
परममूल्य
आध्यात्मिक
है
तथा
इनकी
प्राप्ति
के
लिये
जो-जो
करने
को
कहा
गया
है
वे
सभी
अभ्यास
या
क्रियाएँ
हैं।
पतञ्जलि
योगसूत्र
में
कम
से
कम
तीन
स्तर
के
अभ्यासों
या
क्रियाओं
का
वर्णन
मिलता
है
–
S.
No. |
Yogic Practices |
Final attainment
Value |
Name
of
Yoga |
Stages of
Practitioners
|
Comments |
1. |
अभ्यास
एवं
वैराग्य
Abhyas & Vairagya |
चित्तवृत्ति
निरोधः |
योग |
उत्तम |
यदि
केवल
अभ्यास
एवं
वैराग्य
आवश्यक
हैं
तो
साधक
उत्तम
है |
2. |
तप,
स्वाध्याय
एवं
ईश्वरप्रणिधान
Tapa, Svadhyaya
and Ishwar Pranidhana |
|
क्रियायोग |
मध्यम
|
यदि
तप,
स्वाध्याय
ईश्वरप्रणिधान
भी
उपरोक्त
के
साथ
आवश्यक
हैं
तो
साधक
माध्यम
है। |
3. |
यम,
नियम,
आसन,
प्राणायम,
प्रत्याहार,
धारणा,
ध्यान
एवं
समाधि
Yama, Niyam,
Asana, Pranayama, Pratyahara, Dharana, Dhyana and Samadhi |
समाधि |
अष्टांग
योग |
अधम
|
यदि
उपरोक्त
दोनों
के
साथ
अष्टांग
योग
आवश्यक
हैं
तो
साधक
अधम
है। |
Table :
depicting Yogic practices, their status, final attainment, and name of Yoga
in
Patańjali Yoga
Sutra
|